
‘हर 5 साल में नई सरकार’ आधुनिक राजस्थान के मतदाताओं की एक प्रवृत्ति बन गई है। भाजपा के भैरों सिंह शेखावत और कांग्रेस के मोहन लाल सुखाड़िया जैसे दिग्गज नेताओं के निधन के बाद से ही राजस्थान की जनसंख्या ने दो बड़े स्थानीय राजनीतिक दल– भाजपा और कांग्रेस है के बीच सत्ता बाँट रखी है। हर पाँच साल के अंतराल के बाद कभी कांग्रेस आती है तो कभी भाजपा। स्थाई सरकार का दूर दूर तक नामोनिशान ही नहीं रहा। अनजाने में ही सही परंतु राजस्थान की जनता द्वारा बार-बार सत्ता दो पालों के बीच गेंद जैसे लुढ़काने के कारण राज्य को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। आखिर इस अभ्यास से कैसे रुक रहा है राजस्थान का सम्पूर्ण विकास? आइये देखते हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान 12 जलवायु क्षेत्रों, 36 सामाजिक समुदायों और जटिल सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक स्तिथियों से मिल कर बना है। इस कारणवश किसी भी सरकार को राज्य के संपूर्ण विकास हेतु सटीक सामाजिक, आर्थिक और कृषि नीतियां बनाने तथा उनको पूरी तरह से लागू करने में 5 वर्ष से ज़्यादा समय लग जाता है।
मुश्किल तब उत्पन्न हो जाती है जब आगामी नयी सरकार पिछली सरकार द्वारा बनाई गई दूरगामी नीतियों को स्वार्थवश बंद कर के उनकी जगह नई नीतियां बनाने में लग जाती है। राजस्थान सरकार की भामाशाह योजना इस बात का एक मौजूदा उदाहरण है। विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के बाद भामाशाह योजना ग्रामीण परिवेश को कैशलेस सोसाइटी में बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हो सकती थी। परंतु राजे सरकार के जाने के बाद गहलोत सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। इस कारण सही मौके पर इसका सही प्रयोग नहीं हो पाया।
राजस्थान के इतिहास पर एक नज़र दौड़ाएं तो ज्ञात होगा कि सिर्फ सुखाड़िया और शेखावत ने ही मुख्यमंत्री पद पर सबसे लंबा कार्यकाल गुज़ारा है। जहाँ शेखावत ने 1017 और 1821 दिनों तक मुख्यमंत्री पद संभाला वहीँ सुखाड़िया 4503 दिनों (लगभग 1 दशक) तक मुख्यमंत्री रहे। और देखा जाये तो इन्ही दोनों दिग्गजों के नेतृत्व में राजस्थान ने सामाजिक, कृषि, शिक्षा तथा विदेश नीति जैसे क्षेत्रों में काफी प्रगति की है।
स्थायी सरकार राजस्थान के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है…
राजस्थान के शेर स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत ने 1990 के दशक में राजस्थान में स्थायी और सफल कार्यकाल का आनंद लिया। उनके द्वारा चलायी गई अंत्योदय योजना से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की हालात में काफी हद तक सुधार आया। इसी वजह से उन्हें विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकन्मारा द्वारा ‘भारत के रॉकफेलर’ की उपाधि मिली। इसके अलावा, राजस्थान की पर्यटन नीति, औद्योगिकीकरण और गाँव, ऐतिहासिक स्थलों तथा वन्य जीवन की स्तिथि में भी सुधार हुआ।
इसी तरह, स्वर्गीय मोहाल लाल सुखाड़िया ने लगभग दो दशकों तक शासन किया। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा जमींदारी प्रणाली पूरी तरह से समाप्त हो गई। इसके अतिरिक्त श्रम कानूनों, मौलिक अधिकारों और राजस्व प्रशासन प्रणालियों में बेहतरी हुई। सुखाड़िया के कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान ने काफी तरक्की की। इन क्षेत्रों में राज्य के परिव्यय सन 1960 के दशक में अन्य उत्तर भारतीय राज्यों की तुलना में काफी अधिक था।
राजस्थान की जनता को ये समझना जरुरी है की अन्य राज्यों ने भी स्थायी सरकारों के नेतृत्व में अच्छा-ख़ासा विकास किया है…
- पवन कुमार चामलिंग स्वतंत्र भारतीय राज्य के सबसे लंबे समय तक सत्तारूढ़ मुख्यमंत्री हैं। वे1994 (लगातार पांच दशकों) से निरंतर कार्यालय में हैं। उनके कार्यकाल में सिक्किम ने स्वच्छता, जैविक मिशन, घरेलू उत्पादन, उद्योगीकरण, महिलाओं के विकास, बपर्यटन, अर्थव्यवस्था और नि: शुल्क वार्षिक स्वास्थ्य जांच जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज कराई है।
- शिवराज सिंह चौहान ने लगातार तीसरी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनका कार्यकाल उद्यमशीलता, कृषि वृद्धि, सेवा अधिनियम, पर्यटन, निर्माण और सामाजिक सुरक्षा, बाल सुधार जैसी लाभकारी योजनाओं की समयबद्ध डिलीवरी हेतु जाना जाता है। शीर्ष अदालत ने ई-गवर्नेंस नीति और रोजगार भर्ती घोटाले की सफल जांच के लिए उनकी प्रशंसा की है।
- भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग एक दशक के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री थे। 2002 के गोधरा की घटना के बाद भी वे अपने शासन में राज्य के तरक्की हेतु सटीक, सबल बुनियादी ढांचा बनाने हेतु जाने जाते है। उनका गुजरात तरक्की मॉडल पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उनके कार्यकाल में भू-जल स्तर उद्धार, बांध निर्माण, औद्योगिकीकरण और विभिन्न वर्गों में संसाधनों का सामान वितरण हुआ। इस कारण गुजरात भारत में सबसे ज़्यादा प्रगतिशील राज्य के तौर पर उभरा।
सौ बातों की एक बात ये है कि इन सब उदाहरणों से हमें ये सीख मिली कि राजस्थान का विकास तभी संभव है जब जनता राज्य सरकार को नीतियों को अमल करने हेतु पूरा समय दे। केवल 5 वर्षों में राजस्थान जैसे बड़े राज्य का सम्पूर्ण विकास कर पाना नामुम्किन तो नहीं परंतु मुश्किल ज़रूर है। इसके अलावा, जल स्वावलंबन, ग्राम और रिसर्जेंट जैसी योजनाओं का सार्थक परिणाम पाने हेतु सरकार को जनता के समर्थन की आवश्यकता है। इन सभी कारणों के चलते राजस्थान की जनता को एक 10-वर्षीय स्थायी सरकार की आवश्यकता है।