हिंदुस्तान में दिवाली सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। जहाँ दिए और लक्ष्मी पूजन का ख़ास महत्त्व है, इस त्यौहार पर पटाखे फोड़ने का रिवाज़ कई दशकों से चला आ रहा है। delhi ncr cracker ban
दिल्ली और एनसीआर एरिया के लिए इस साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने एक चौंका देने वाला फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक बरकरार रखी है। 19 अक्टूबर को दिवाली से पहले यहां पटाखों की बिक्री नहीं हो पाएगी। कोर्ट के इस फैसले के बाद पटाखों की बिक्री 1 नवंबर, 2017 के बाद ही दोबारा शुरू हो सकेगी।
इससे राजधानी और आसपास के इलाकों में प्रदूषण कम होने की उम्मीद जरूर जगी है, जो दिवाली के अवसर पर अत्यधिक हो जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर नवंबर 2016 में ही रोक लगा दी थी। पर दिवाली पर पटाखों के माध्यम से उत्सव मानाने वाले नागरिकों ने इस फैसले के बाद रोष जताया है। delhi ncr cracker ban
पटाखा बैन के बाद पूरे देश में हिन्दू त्योहारों को लेकर बेहेस छिड़ गई है। जाने माने लेखक चेतन भगत ने ट्विटर पर इसे मुद्दा बनाया है।
Can I just ask on cracker ban. Why only guts to do this for Hindu festivals? Banning goat sacrifice and Muharram bloodshed soon too?
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
चोरी छिपे बिक्री की है आशंका
इस बीच आशंका जताई जा रही है कि बड़ी संख्या में ट्रेडर्स चोरी-छिपे तरीके से पटाखे बेचेंगे, जो वास्तविक कीमत की तुलना में कई गुना महंगे होंगे। बाजार विशेषज्ञों की मानें तो एनसीआर एरिया के आसपास के राज्यों से पटाखे अवैध रूप से भी लाये जा सकते हैं। delhi ncr cracker ban
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देश में हर साल लगभग 6,000-6,500 करोड़ रुपए का पटाखे का कारोबार होता है, जिनमें से 90 फीसदी कारोबार दिवाली पर होता है। दिल्ली में पटाखों का करीब 1,000 करोड़ रुपए का अनुमानित कारोबार होता है। पटाखों का सबसे अधिक निर्माण तमिल नाडु में होता है। तमिलनाडु के सबसे बड़े पटाखे केंद्र शिवकाशी से 3000 से लेकर 4000 करोड़ रुपए की बिक्री होती है।