धौलपुर हार के बाद प्रदेश कांग्रेस ने आगामी 2018 के विधानसभा चुनाव में भी जीत की उम्मीद को खत्म कर दिया है। गुरूवार को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने धौलपुर विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने के बाद पत्रकार वार्ता में स्वीकार किया कि धौलपुर से जनता से भाजपा के साथ को स्वीकार किया है, जनता ने प्रदेश में भाजपा को जनादेश देकर यह सिद्ध किया है कि आगामी कुछ सालों तक भाजपा की स्थिती मजबूत रहेगी और शासन, सत्ता भाजपा के हाथ में रहेगा। कांग्रेस व सचिन पायलट धौलपुर उपचुनाव से बुरी तरह से प्रभावित हुए है। अब देखना है कि आगामी 2018 के विधानसभा चुनाव में जनता कि करवट किस और बैठेगी, क्या जनता ने कांग्रेस नेतृत्व को नकार दिया है, क्या भाजपा व मुख्यमंत्री राजे को राजस्थान की जनता ने किसी विकल्प के तौर पर नही बल्कि मजबूत नेतृत्व के तौर पर चुना है, क्या राजस्थान में मुख्यमंत्री राजे के विकल्पों को तलाशना बंद हो जाएगा। इन सब सवालों के जवाब के लिए इस लेख को गहराई से पढ़े।
राजे की आंधी से बिखरे कांग्रेस के पत्ते, एक झौंके ने हिला दिया
धौलपुर विधानसभा उनचुनाव से यह तो साबित हो गया कि आगामी दौर कांग्रेस का बिल्कुल नही है। कांग्रेस को जनता ने सिरे से नकार दिया है। जनता की करवट किस और बैठेगी यह भी इस चुनाव से तय हो गया है। राजस्थान में मुख्यमंत्री राजे के सामने कांग्रेस ने जो पत्ते बिछाए थे वो राजे नाम की हवा के एक झौंके से बिखर गये, इसके साथ ही जो नेता आगामी चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे थे वो भी चकनाचूर हो गये। अब 2018 की अगर बात कर तो कांग्रेस मुक्त भारत के सपने की तरह कांग्रेस मुक्त राजस्थान का सपना साकार होने लगा है। जहां तक बात है कांग्रेस नेतृत्व की तो खुद को युवा समझने वाले पायलट अब युवाओं को अपनी और खिंचने में नाकाम सिद्ध हुए है। जाहिर है 2018 के चुनाव में भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की ही जीत होगी।
अब गहलोत और पायलट को है किसी चमत्कार की उम्मीद
धौलपुर ने प्रदेश कांग्रेस का एक कड़वा घूंट पिने पर मजबूर किया है। हार का कारण चाहे जो भी रहा हो लेकिन इतनी बुरी हार की तो किसी ने कल्पना भी नही कि होगी। मोटे तौर पर कहा जा रहा था कि धौलपुर में कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत स्थिती में लेकिन जिस प्रकार से रूझान आने शुरू हुए शाखे हिलने लगी और 70 साल पुराने पेड़ धराशायी हो गये। अब इसका एक ही मतलब निकलता है कि कांग्रेस का दौर खत्म हो चुका है। जनता ने इस नेतृत्व को नकार दिया है। अब शायद गहलोत और पायलट बैठकर मंथन करेंगे और किसी चमत्कार के होने की कल्पना करेंगे।
मुख्यमंत्री राजे से मिला राजस्थान को मजबूत नेतृत्व
जनता ने धौलपुर में भाजपा को नही मुख्यमंत्री राजे को चुना है। प्रदेश भाजपा ने पूर्व विधायक की पत्नी को टिकट देकर एक दांव खेला लेकिन अगर मुख्यमंत्री राजे चुनाव मैदान की कमान नही संभालती तो मैदान में बराबर के हाथी-घोड़े थे। खैर धौलपुर वासियों को यह समझ आ गया है प्रदेश में अगर विकास आ सकता है तो मुख्यमंत्री राजे का विकल्प काम नही करेगा। इसलिए धौलपुर की जनता ने मुख्यमंत्री राजे के विकल्प को नही राजे के समर्थन में मतदान किया है। मुख्यमंत्री राजे से ही राजस्थान में मजबूत नेतृत्व मिल सकता है जैसा पिछले तीन साल से दिखाई दे रहा है।
दिल्ली जाने की अफवाहों पर लगी रोक, राजे का नही कोई विकल्प
धौलपुर चुनाव ने उन बातों पर भी लगाम लगा दी है जो कि प्रदेश की मुखिया को दिल्ली शिफ्ट करने की चल रही थी। उन लोगों के मुंह पर तमाचा सा लगा है जो मुख्यमंत्री राजे के दिल्ली जाने की अफवाहों को तूल दे रहे थे। अब यह भी साबित हो गया है कि राजस्थान में कोई अगर मुख्यमंत्री राजे के विकल्प को तलाश करेगा उसे मुंह की ही खानी पड़ेगी। जिस प्रकार से धौलपुर की जनता ने मुख्यमंत्री राजे में विश्वास जताया है उसे नजरअंदाज नही किया जा सकता। अब आगामी 2018 के चुनाव मुख्यमंत्री राजे के नेतृत्व में ही प्रदेश भाजपा लड़ेगी।