उदयपुर और जयपुर में रेमडेसिविर की कालाबाजारी, 23 हजार का इंजेक्शन 35 हजार में बेचते थे

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    जयपुर। कोरोना महामारी में संक्रमित लोगों को बचाने के लिए संजीवनी के रूप में प्रचारित रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का खुलासा उदयपुर पुलिस ने किया है। इस मामले में निजी क्षेत्र के एक अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट तथा सेकेंड ईयर एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया है। ये लोग उदयपुर के संभागीय अस्पताल के एक संविदाकर्मी से 23 हजार में एक रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदते थे और मजबूर जरूरतमंदों को 35 से चालीस हजार रुपये तक में बेचा करते थे। पिछले तीन दिन में वह छियालीस इंजेक्शन बेच चुके थे और बारह अन्य इंजेक्शनों की डिलिवरी की जानी थी। डॉक्टर तथा मेडिकल स्टूडेंट के पकड़े जाने के बाद संविदाकर्मी गायब है।

    23 हजार में खरीदते थे, 35 हजार में बेचते थे
    पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ है कि डॉ. मोहम्मद अबीर और मोहित पाटीदार उदयपुर के सरकारी महाराणा भूपाल अस्पताल के संविदाकर्मी चिराग कलाल से 23 हजार रुपये में एक रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदते थे। जिसे वह बाद में पैंतीस हजार रुपये में बेचते थे। पिछले तीन दिनों वह चार दर्जन से इंजेक्शन चिराग से खरीद चुके हैं और कोरोना पॉजीटिव मरीजों के परिजनों को बेच चुके हैं। इन्हें बारह डोज इंजेक्शन के आर्डर थे।

    जयपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी
    वहीं कालाबाजारी की सूचना पर जयपुर सीएसटी क्राइम ब्रांच टीम ने 48 स्थानों पर डिकोय ऑपरेशन किया। इस दौरान कई मेडिकल स्टोर पर छापे मारे गए। सीएसटी क्राइम ब्रांच टीम ने मुरलीपुरा इलाके से छह आरोपियों को गिरफ्तार किया। जयपुर के विभिन्न मेडिकल स्टोर और अन्य जगह दलालों के मार्फत सप्लाई कर चुका है। बताया जा रहा है कि गिरोह महंगे दामों में इस इंजेक्शन को सप्लाई करते थे। फिलहाल सभी से पूछताछ जारी है। माना जा रहा है कि पूछताछ में और भी कई खुलासे होने की संभावना है।

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