राजस्थान : बीजेपी को 15 दिसंबर तक चुनना होगा प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व CM राजे का नहीं कोई विकल्प

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जयपुर। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अगस्त के महीने में अपना सदस्यता अभियान पूरा करने जा रही है। इसके साथ ही पार्टी ने संगठन चुनाव प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। पार्टी को नया प्रदेशाध्यक्ष जल्द मिलने की संभावना है। पार्टी की ओर से सभी राज्यों को इस बारे में पत्र लिख कर सूचित कर दिया गया है। इसके साथ निर्देश दिए गए हैं कि 11 सितम्बर से प्रदेशों में संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। एक दिसम्बर से लेकर 15 दिसम्बर के बीच पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्य भी चुनने होंगे। संसद का बजट सत्र समाप्त हो चुका है और अब केंद्रीय नेतृत्व इस पद पर नियुक्ति कर सकता है। मदन लाल सैनी के निधन के बाद से यह पद रिक्त है।

जून से खाली है प्रदेशाध्यक्ष का पद
बता दें कि पिछले साल जब वसुंधरा राजे सत्ता में थीं तो विधानसभा चुनाव से पहले अशोक परनामी द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद यह पद करीब ढाई महीने खाली रहा। उस समय बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते थे लेकिन मुख्यमंत्री राजे इस नाम पर सहमत नहीं थीं। अंतत: बीच का रास्ता निकालते हुए मदन लाल सैनी को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। राज्य सभा सदस्य सैनी का इस 24 जून को निधन हो गया।

30 नवम्बर तक होगा जिला अध्यक्ष और प्रदेश परिषद सदस्यों का चुनाव
11 सितम्बर से 30 सितम्बर तक बूथ अध्यक्ष, बूथ समिति सदस्यों के चुनाव का समय रखा गया है। इसके बाद 11 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मंडल अध्यक्ष का चुनाव और मंडल स्तर पर समितियों का गठन करना होगा। 11 नवम्बर से 30 नवम्बर तक जिला अध्यक्ष और प्रदेश परिषद सदस्यों का चुनाव होगा। हर चरण के चुनाव के बाद अगले चरण के चुनाव शुरू होने के बीच दस दिन का अंतराल रखा गया है। इन दस दिनों में किसी भी तरह की शिकायत हो तो की जा सकेगी और अगले चरण की तैयारियां होंगी।

गहलोत और मेघवाल को सौंपी जिम्मेदारी
पार्टी ने प्रदेश में संगठन चुनाव कराने की जिम्मेदारी राजेन्द्र गहलोत और कैलाश मेघवाल को सौंपी है। ये दोनो अधिकारी जिलों में चुनाव करवाने के लिए चुनाव अधिकारी नियुक्त करेंगे। जिला चुनाव अधिकारी मंडल चुनाव अधिकारी नियुक्त करेंगे।

प्रदेशाध्यक्ष के लिए वसुंधरा राजे प्रबल दावेदार
स्थानीय मीडियाई खबरों के अनुसार, पूर्व सीएम राजे के मुकाबले कोई दूसरा कोई भी नेता बौना नजर आता है। वसुंधरा राजे की पार्टी और स्थानीय लोगोें में अच्छी पकड़ हैं। चार बार की सांसद रह चुकीं राजे जमीनी हकीकत से अच्छे वाकिफ हैं। उनकी कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-1999 में अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया। वसुंधरा राजे को अक्टूबर 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। भैरोंसिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्हें राजस्थान में भाजपा राज्य इकाई का अध्यक्ष बनीं। दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी वसुंधरा राजे को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाता है तो पार्टी में उनके खिलाफ विरोधी सुर नहीं सुनाई देगा। उनमें पूरी पार्टी के साथ लेकर चलने की योग्यता है। इस प्रकार यह कहना अतिश्यो​क्ति नहीं होगा कि वह बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के लिए प्रबल दावेदार है।

प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में ये 5 नाम भी है आगे
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष की पद की दौड़ में कई नाम सामने आ रहे हैं जिनमें सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, विधानसभा में प्रतिपक्ष उपनेता राजेंद्र राठौड़ तथा विधायक सतीश पूनिया, ओम माथुर और मदन दिलावर शामिल है। हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता किसी भी तरह का कयास लगाने से बच रहे हैं।

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