इन दिनों भारत-पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर चल रही तनातनी के बीच भारत के लिए थोड़ी निराशाजनक खबर सामने आई है। CAG ने भारतीय सेना के गोला- बारूद को लेकर एक बार फिर चिंता जाहिर की है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना के पास गोला-बारूद में भारी कमी हो सकती है। CAG ने एक रिपोर्ट संसद में पेश की है जिसमें यह दावा किया है कि अगर जंग छिड़ जाती है तो भारत के पास 10 दिन तक चलने लायक युद्ध के लिए पर्याप्त गोला-बारूद की कमी है।
2009 से 2013 के बीच नही हुई हथियारों की खरीद
शुक्रवार को संसद में रखी रिपोर्ट में बताया गया है कि सेना को युद्ध के लिए कम से कम 40 दिन का वॉर रिजर्व रखना चाहिए। हालांकि सेना ने इसे घटाकर 20 दिन का ऑपरेशनल वॉर रिजर्व कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद सेना के पास बहुत से ऐसे महत्वपूर्ण गोला बारूद हैं जो सिर्फ 10 दिन के लिए हैं। रिपोर्ट में दावा किया है कि सेना मुख्यालय ने 2009 से 2013 के बीच चार सालों में हथियारों की खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें से अधिकतर जनवरी 2017 तक लम्बित थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी में आर्मी के गोला-बारूद मैनेजमेंट का फॉलोअप ऑडिट किया गया।
महत्त्वपूर्ण हथियारों का जखीरा बढ़ा लेकिन फिर भी है कमी
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2016 में कुल 152 तरह के गोला-बारूद में केवल 31 से 40 दिनों के लिए, जबकि 12 प्रकार के गोला-बारूद 30 से 40 दिनों के लिए, वहीं 26 प्रकार के गोला-बारूद 20 दिनों से थोड़ा ज्यादा वक्त के पर्याप्त पाए गए। इस रिपोर्ट में साथ ही कहा गया है कि इस बीच विस्फोटक और विध्वंस उपकरणों जैसे कुछ महत्वपूर्ण हथियारों का रिजर्व सुधरा है, लेकिन बेहतर फौजी ताकत को बनाए रखने के लिए जरूरी बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों (AFV) और तोपों के लिए गोला बारूद चिंताजनक रूप से कम पाए गए।
2015 में भी कैग ने जताई थी चिंता
हालांकि गोला-बारूद की यह किल्लत कोई नई नहीं है और पिछली यूपीए सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए 2015 तक गोलाबारूद की कमी को दूर के लिए एक रोडमैड भी बनाया था। कैग की इस रिपोर्ट में पाया गया कि मार्च 2013 में बने रोडमैप के बावजूद इन तीन वर्षों में गोलाबारूद के रिजर्व में कोई खास सुधार नहीं देखा गया। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब डोकलम विवाद को लेकर चीन और भारत आमने-आमने सामने है। चीन लगातार युद्ध की धमकियां दे रहा है तो वहीं पाकिस्तान भी रोज युद्धविराम का उल्लंघन कर अघोषित युद्ध करता है। सीएजी ने 2015 में भी गोला बारूद की कमी को लेकर चिंता जाहिर की थी।