राज्य के सरकारी विद्यालयों में आधुनिकता और तकनीकी बढ़ाने के लिए आगे आये भामाशाह: 62 करोड़ से अधिक राशि का आर्थिक अनुदान दिया

0
1054
vasundhara-raje

राजस्थान में राज्य सरकार के अनुदान पर संचालित होने वाले राजकीय विद्यालयों में आधुनिकता, सम्पन्नता और तकनीकी के विकास के लिए अब सरकार के साथ-साथ प्रदेश के दानवीर भी आगे आये है। राज्य में हर वर्ष अनेकों दानदाता समाज एवं सर्वजन के कार्यों के लिए अपनी कमाई का कुछ हिस्सा अनुदान के रूप में देते है। इस वर्ष अधिक संख्या में इन भामाशाहों ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में सुविधाओं के विस्तार के लिए अपनी कमाई का अंश दिया है। सरकारी विद्यालयों के लिए दान के मामले में प्रदेश के भामाशाहों ने इस बार कई रिकॉर्ड बना दिए। प्रदेशभर में 109 भामाशाहों ने शिक्षा विभाग को कुल 62 करोड़ 32 लाख रुपए का दान किया है। यह राशि भामाशाह सम्मान समारोह के इतिहास में किसी भी एक साल में प्राप्त राशि के मामले में अब तक सबसे अधिक है। यह राशि 1995 में शुरू हुए भामाशाह सम्मान समारोह के पहले आयोजन से लेकर 11वें समारोह की कुल राशि 57 करोड़ से भी ज्यादा है।

न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने दिए 6.63 करोड़ रूपए:

शिक्षा विभाग के लिए सर्वाधिक राशि का दान देने में इस वर्ष न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन ऑफ इंडिया, रावतभाटा पहले स्थान पर रहा है। कारपोरेशन ने चित्तौड़गढ़ ज़िलें में 6.63 करोड़ रूपए के विकास कार्य कराए हैं। अपने राज्य और इसकी शिक्षा व्यवस्था में उन्नति के लिए दिए गए इस महादान पर कारपोरेशन के चेयरमैन पीएन प्रसाद को सरकार की ओर से सम्मानित किया गया है। भामाशाहों की इसी कड़ी में दूसरे नंबर पर कोलकाता के व्यवसायी हरिप्रसाद बुधिया रहे है। हरिप्रसाद बुधिया ने 5.19 करोड़ रूपए खर्च कर राजधानी जयपुर के हीरापुरा स्थित ”कमलादेवी बुधिया राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल” के भवन का निर्माण करवाया है।

सरकार के प्रयासों से बढ़ा भामाशाहों का सहयोग:

निरंतर विकास पथ पर अग्रसर होकर काम करने वाली राजस्थान सरकार के मैत्रीपूर्ण रवैये को देखकर बड़ी-बड़ी कंपनियों ने यहाँ अनुदान के लिए खर्च करना उचित समझा। वहीँ तीन वर्ष पहले सरकार की ओर से लाये गए कंपनी एक्ट 2013 में भी यह प्रावधान है कि कंपनियों को अपने शुद्ध मुनाफे का 2% सीएसआर यानि अपने आस-पास के परिवेश में विकास कार्यों में सरकार की मदद के लिए खर्च करना आवश्यक है। सीएसआर के तहत स्कूलों, पेयजल योजनाओं, स्वच्छता के प्रोजेक्ट्स और ग्रामीण सुविधाओं के विकास पर राशि खर्च की जा सकती है। पिछले कुछ सालों से राजस्थान के सरकारी विद्यालयों का साल-दर-साल बेहतरीन परिणाम देखकर कंपनिया अपनी सीएसआर की राशि को स्कूलों में खर्च करने के लिए आगे आई है। इससे देश और समाज के हित के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझने वाले भामाशाहों की संख्या बढ़ी है।

राजकीय विद्यालयों का हुआ कायाकल्प:

प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में आर्थिक अनुदान देने के कारण आज राज्य के इन विद्यालयों का कायाकल्प हो गया है। आज यहाँ सभी आवश्यक सेवाओं के साथ ही आधुनिक सुविधाओं का सम्मिश्रण दिखता है। राजकीय विद्यालयों में शुद्ध पेयजल के लिए आरओ संयंत्र, इन्वर्टर आदि की व्यवस्था कर यहाँ खेल मैदान, क्लास रूम को विकसित किया जा रहा है। सरकार के अथक प्रयासों के बाद भी सुविधाओं में जो कमी रह जाती है, उसकी पूर्ती इन भामाशाहों के सहयोग से की जा रही है।

RESPONSES

Please enter your comment!
Please enter your name here