राजस्थान के अजमेर में दरगाह पर हुए ब्लास्ट मामले में अदालत ने बुधवार को दोषियों पर फैसला सुना दिया। जज ने सुनवाई करते हुए भावेश और देवेंद्र को आजीवन कारावास की सजा दी है। वहीं, एक आरोपी को 10 हज़ार व एक को 5 हज़ार रुपए का जुर्माना भी अदा करने को कहा। बता दें कि इस मामले में तीन लोगों को दोषी पाया गया था। इस मामले में तीसरे दोषी सुनील जोशी की पहले ही मौत हो चुकी है।
गौरतलब हैं कि 8 मार्च को इस मामले में तीन आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया था, लेकिन उन्हें सजा पर फैसला 18 मार्च तक टाल दिया गया। 18 मार्च को बचाव पक्ष की दलीलों के बाद कोर्ट ने फैसला 22 मार्च के लिए टाल दिया था। 18 मार्च को दोषियों को सजा के बिंदुओं पर बहस हुई थी। इसी के चलते सजा का फैसले में देर हुई और अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था।
2007 में हुआ था ब्लास्ट
राजस्थान की अजमेर दरगाह शरीफ में रोजा इफ्तार करने वाले जायरीनों के बीच यह ब्लास्ट 11 अक्टूबर 2007 को किया गया था। इस नापाक हरकत के 9 साल बीत जाने के बाद 8 मार्च को तीन आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। गरीब नवाज की दरगाह में करीब 6:15 शाम दरगाह में एक ब्लास्ट हुआ, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई। 15 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ब्लास्ट के लिए दरगाह में दो रिमोट बम प्लांट किए गए थे, लेकिन इनमें से एक ही फटा था।
8 मार्च को सुनाया था कोर्ट ने फैसला
पूर्व में जज दिनेश गुप्ता ने आगामी 22 मार्च तक फैसला टाल दिया। गत 11 अक्टूबर 2007 में अजमेर दरगाह में हुए विस्फोट मामले में अदालत ने गत 8 मार्च को फैसला सुनाते हुए तीन आरोपितों को दोषी माना था, जबकि सात आरोपितों को बरी करने के आदेश दिए थे।
इन तीन आरोपितों में से एक की मृत्यु हो जाने के कारण शनिवार को अन्य दो दोषी भावेश अरविन्द भाई और देवेन्द्र गुप्ता को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया गया। हालांकि दोषियों की सजा को लेकर शुक्रवार को भी स्थिति साफ नहीं हो पाई और आखिरकार जज ने फैसला 22 मार्च को देने के आदेश दिए।