Ajmer Byelections : अजमेर के अलावा अलवर सीट पर भी होने हैं उपचुनाव
दो सीटों के लिए होने वाले लोकसभा उपचुनावों में कांग्रेस व भाजपा दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के लिए खुद का साबित करने का बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ है। उपचुनाव अलवर व अजमेर लोकसभा सीटों पर होने हैं। राजस्थान से लोकसभा की 25 सीटों पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी का अधिकार है। जहां तक है अगले साल या 2019 की शुरूआत में लोकसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने पार्टी कार्यकर्ताओं में हिम्मत फूंकने का काम करेंगे।
आने वाले चुनावों के लिए भी यह सेमीफाइनल जैसा सुनहरा मौका है। इसे देखते हुए ही अजमेर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से सचिन पायलेट को उम्मीदवार बनाया गया है। सचिन युवाओं में एक जाना पहचाना चेहरा है और वें राहुल के करीबी भी हैं। इसलिए उनका दावा काफी मजबूत है। दूसरी ओर, बीजेपी के लिए भी यह सीट नाक का सवाल बन गई है क्योंकि सांवरलाल जाट ने इसी सीट पर सचिन पायलेट को पटखनी देखकर अपना कब्जा जमाया था। ऐसे में सांवरलाल के सुपुत्र रामस्वरूप लांबा के अलावा कोई उपयुक्त विकल्प बीजेपी के पास इस समय नहीं है। गुर्जरों के बाद दूसरी सबसे बड़ी जाति जाट होने की वजह से लांबा इस मौके को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
हालांकि देखा जाए तो सचिन का राजनीतिक जीवन रामस्वरूप लांबा से काफी गहरा है लेकिन लांबा अपने पिता का जनता पर प्रभाव और उनकी मौत की सहानुभूति का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में लांबा पूरी तरह पायलेट को टक्कर देते नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर, मौजूदा समय में सचिन पायलेट को छोड़ पार्टी में अन्य कोई बड़ा नेता नजर नहीं आ रहा है जो वहां की परिस्थियों से मेल खा रहा हो। ध्यान रहें कि 2007—08 में पायलेट यहां से लोकसभा चुनाव जीतकर केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में यहां के लोगों में पायलेट की छवि अभी तक कायम है। वहीं भाजपा के पास लांबा के अलावा कोई उपयुक्त चेहरा फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे करेंगी अजमेर का दौरा –
अजमेर लोकसभा सीट जीतने का भार प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे पर भी है। इसी के चलते राजे के अजमेर दौरे की भी सूचना है। मुख्यमंत्री का यह दौरा दो चरणों में होना है। पहला चरण 5 अक्टूबर से हो सकता है। दूसरी चरण अगले महीने होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के यहां आने से अजमेर सीट पर उम्मेदवारी साफ हो सकती है। साथ ही यहां की जनता को भाजपा समर्थन मिलने की आशंका भी जताई जा रही है। मुख्यमंत्री के इस कदम के बाद जल्दी ही सचिन भी यहां का दौरा कर सकते हैं।
अलवर की सीट पर भी होने हैं उपचुनाव –
महंत चांदनाथ की आकस्मिक मृत्यु के बाद अलवर की लोकसभा सीट भी खाली हो चुकी है जिसपर भी उपचुनाव होने हैं। इस सीट पर अभी तक दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। वैसे भंवर जितेन्द्र सिंह कांग्रेस का चुनावी चेहरा बन सकते हैं। यादवों की बड़ी दादात को देखते हुए बीजेपी से जसवंत यादव का नाम सामने आ रहा है। मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने हैं जिसपर भी दोनों पार्टियों की नजर गढ़ी हुई है।