अहमद पटेल की मुश्किलों भरी जीत और कांग्रेस का ख़त्म होता वज़ूद

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    कल मंगलवार को गुजरात राज्य की तीन सीटों पर राज्यसभा चुनाव संपन्न हुए। तीन सीटों में से दो पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और स्मृति ईरानी ने जीत दर्ज़ की। इन दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों का जीतना लगभग तय था। तीसरी सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद भाई पटेल जीते। गुजरात राज्यसभा की तीसरी सीट पर अहमद पटेल को जीत के लिए जिस कदर परेशान होना पड़ा उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस के लिए यह पतन की और ले जाने वाली विजय साबित होगी। कल सुबह 9 बजे से शुरू हुई वोटिंग शाम 4 बजे तक पूरी हो गई। सभी 176 योग्य विधायकों ने अपना मत प्रयोग किया। लेकिन नतीजे आए देर रात 1:30 बजे। कांग्रेसियों को तो अब भी इस जीत पर विश्वास नहीं हो रहा होगा। क्योंकि जब कांग्रेस इस जीती हुई सीट पर भी हार से आश्वस्त होकर हर तरफ से निराशा में डूब चुकी थी उस समय भाग्य के उलटफेर ने कांग्रेस को इस सीट पर जीत दिला ही दी।

    51 विधायक चुनकर गए थे कांग्रेस से, 44 का समर्थन भी मुश्किल से मिला:

    गुजरात राज्यसभा की सीट पर कल हुए चुनावों में मज़े की बात ये रही कि जिस कांग्रेस का टिकट लेकर 51 विधायक गुजरात की विधानसभा में आए थे। उसी कांग्रेस को उन विधायकों ने मझधार में छोड़ दिया था। आलम यह रहा कि कांग्रेस के अहमद पटेल को जीतने के लिए ज़रूरी 44 वोट के लिए भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। चुनाव परिणाम आने के बाद अहमद पटेल ने कहा कि यह उनकी ज़िन्दगी का सबसे मुश्किल चुनाव साबित हुआ।

    पार्टी में गहरी हुई आंतरिक फूट:

    कल हुए राज्यसभा चुनाव में अहमद तो जीत गयें लेकिन इसके साथ ही इसी साल के अंत में होने जा रहे गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा कि जीत का रास्ता खोल गए। अहमद पटेल ने जिस नेता के सामने मशक्कत भरी जीत हासिल की असल में वह बलवंत सिंह राजपूत अभी 13 दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को वोट देकर बलवंत सिंह समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी के शिखर नेतृत्व को यह अहसास करा दिया था कि कुछ तो आंतरिक गड़बड़ी चल रही है। गुजरात के कद्दावर कांग्रेसी नेता माने जाने वाले शंकर सिंह वाधेला ने भी 21 जुलाई को अपने जन्म दिन पर कांग्रेस पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह की वजह से कांग्रेस का दामन छोड़ दिया था। टूट-फूट कर शेष बचे 44 विश्वस्त विधायकों पर भी कांग्रेस को भरोसा नहीं रहा। उन्हें बेंगलुरु के एक मंहगे रिसोर्ट में क़ैद कर बिकाऊ साबित कर दिया। इन्हे बेईमान और बिकाऊ समझ नई-नई घुट्टियाँ पिलाई गई।

    लाख जतन के बावजूद हुई क्रॉस वोटिंग ने पार्टी का आंतरिक मनोबल तोड़ा:

    कांग्रेस और इसके विधायकों के मध्य मज़ेदार वाक़या यह हुआ कि जिस तरह पार्टी ने विधायकों पर भरोसा नहीं किया तो उस बात को सही साबित करते हुए विधायकों ने भी अपनी दग़ाबाज़ी आख़िर बता ही दी। कल वोटिंग के समय इन 44 विधायकों में से भोलाभाई गोविल, महेन्द्र सिंह वाधेला, सीके रावल और अमित चौधरी ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर ही दी। अब इसे चाहे किसी भी रूप में परिभाषित किया जाए, लेकिन यह इस बात की तरफ स्पष्ट इशारा करता है कि गुजरात में भाजपा कि टक्कर लेने के लिए अभी कांग्रेस में दमखम नहीं है। आने वाले गुजरात विधानसभा के चुनावों में भाजपा फिर से एक बडी जीत दर्ज करेगी। इसका प्रमाण कल स्वयं कांग्रेसियों ने ही दे दिया।

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