रेलवे में नौकरी के लिए अब ”आधार” अनिवार्य, पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम

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    देश के नागरिक की पहचान का प्रमाण बन चुके ”आधार कार्ड” की उपयोगितां दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। प्रत्येक भारतीय को इससे उसका एक विशिष्ट पहचान संख्या मिली है। भारतीय प्रशासन और व्यवस्था में फर्जीवाड़ा रोकने में ”आधार कार्ड” अब तक बड़ा उपयोगी साबित हुआ है। बायोमेट्रिक पहचान पर आधारित यह पहचान कार्ड अब अनेकों सरकारी सरकारी योजनाओं, सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आवश्यक बन गया है। देश की विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं के साथ अब आधार सरकारी नौकरी के लिए आयोजित परीक्षाओं में भाग लेने के लिए भी अनिवार्य बनता जा रहा है। सरकार की ज़ारी अधिसूचना के अनुसार अब रेलवे विभाग में नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए आधार कार्ड ज़रूरी होगा। अभ्यर्थी बगैर आधार संख्या के विभागीय परीक्षाओं में नहीं बैठ पाएंगे।

    अब फ़र्ज़ी परीक्षार्थियों की खैर नहीं:

    देश के प्रमुख विभागों में से एक रेलवे में हरसाल लाखों कर्मियों की भर्ती होती है। भारतीय रेलवे नौकरी देने में दुनिया की सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में सबसे बड़ी है। प्रतिवर्ष होने वाली परीक्षाओं में लाख सावधानियों के बावजूद कहीं न कहीं गड़बड़ी की आशंका रह ही जाती है। कई बार परीक्षा में मूल अभ्यर्थी की जगह फर्जी अभ्यर्थियों के शामिल होने की घटनाएं भी हो जाती है। ऐसे में इस परीक्षा में आधार कार्ड की अनिवार्यता रखने से न सिर्फ फ़र्ज़ी परीक्षार्थियों पर लगाम कसेगी, बल्कि व्यवस्था में पारदर्शिता भी आएगी। अब इन परीक्षाओं के दौरान बायोमैट्रिक तरीकें से उपस्थिति दर्ज़ की जाएगी। परीक्षार्थी के आधारकार्ड से अंगुलियों के निशान का मिलान किया जायेगा। अगर कोई फर्जी अभ्यर्थी पाया जाता है तो उसे परीक्षा केन्द्र पर ही पकड़ लिया जाएगा। फर्जी अभ्यर्थियों की वजह से कई बार ऐसा होता है कि पद पर नियुक्ति प्रक्रिया को अदालत में चुनौती मिल जाती है। फिर इसमें कानूनी जांच प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह काफी लम्बी होती है। योग्य अभ्यर्थियों का इस झमेले का सामना करने के कारण व्यवस्था से भरोसा उठ जाता है।

    एनडीए सरकार ने दिया आधार को वास्तविक सरोकार:

    ”आधार-हर भारतीय का अधिकार” वास्तव में इस उक्ति को साकार करने का काम केंद्र की भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने किया है। यूपीए के दूसरे शासन के दौरान लाए गयी यह योजना उस समय महज़ एक औपचारिक और निरर्थक योजना बनकर रह गयी थी। सरकार आधार कार्ड बनवा तो रही थी। मगर आधार के उपयोग और फायदों से जनता के साथ-साथ सरकार भी अनभिज्ञ थी। फिर जब केंद्रीय सत्ता में भाजपा की सरकार बनी तो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश ने आधार कार्ड की उपयोगिता समझी।

    आज केंद्र सरकार ने आधार कार्ड से प्रत्येक देशवासी को जोड़ा है। अब सरकार किसी वर्ग विशेष या सभी के लिए संचालित होने वाली योजनाओं, सुविधाओं, लाभ पैकेज का फायदा आधार कार्ड की सहायता से पहुंचा रही है। अपनी किसी भी स्कीम पर रियायत देने के लिए सरकार आधार कार्ड का उपयोग कर रही है। देश के सभी वासियों को आधार के द्वारा सीधा सरकार से जोड़ा जा रहा है। अब दस तरह के पहचान पत्र साथ रखने की झंझट नहीं है। एक आधार कार्ड से ही सभी सरकारी सुविधाओं को लिंक कर दिया गया है। देशवासियों को सीधा उनका हक़ आधार से दिया जा रहा है। आधार नंबर को बैंक से लिंक कर पेमेंट किया जा रहा है। गैस सिलेंडर पर सब्सिडी के लिए आधार अनिवार्य है। इस तरह सरकार ने देश के प्रत्येक नागरिक को आधार कार्ड से एक यूनिक पहचान दी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक देश में कुल 116,00,64,243 आधार कार्ड जनरेट हो चुके है। यह देश की वर्तमान कुल जनसँख्या का 85% से ज़्यादा है।

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