राजस्थान में बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश में बेटियों के हितों को ध्यान में रखकर कई योजनाओं को साकार किया है इन योजनाओं से राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों में गिरावट आई है। मुख्यमंत्री राजे के प्रयासों से राजस्थान में बेटियों को स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का जीवन मिला है। राजस्थान में बेटियों के हितों की रक्षा करने के लिए अब गांव-देहात और दूर-दराज इलाकों में भी महिलाओं के अधिकारों और उन पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ सुनवाई होगी।
महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की होगी सुनवाई
राज्य महिला आयोग की ओर से गांव-पंचायत स्तर पर बनाई जाने वाली कमेटियों के जरिए होगा। इसके लिए राज्य महिला आयोग अध्यक्ष सुमन शर्मा ने पहल करते हुए सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। आयोग अध्यक्ष शर्मा के अनुसार प्रदेश की सभी भी 9894 ग्राम पंचायतों में वहां की महिलाओं की एक-एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इसके लिए आयोग की ओर से जिला कलेक्टरों को पत्र लिखा जा चुका है।
महिलाओं की पीड़ा को समझने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का होगा गठन
पंचायतीराज चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण होने के चलते इसी अनुपात में ग्राम पंचायतों में महिला सरपंच हैं। वहां उन्हीं की अध्यक्षता में कमेटी का गठन होगा। कमेटी में वार्ड पंच और एएनएम भी महिलाएं ही होंगी लिहाजा उम्मीद की जा सकती है के वे महिलाओं की पीड़ा को बेहतर तरीके से समझ पाएंगीं। 5 सदस्यीय यह कमेटी स्थानीय स्तर पर महिलाओं से जुड़े मसलों का निस्तारण करेगी।
महिलाओं की आयोग तक हो पहुंच, मिले न्याय
महिला आयोग की ओर से इन कमेटियों के गठन के लिए महिला पंचायत कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है। इसका आगाज जयपुर में वाटिका ग्राम पंचायत से हुआ है। इस कार्यक्रम में सुमन शर्मा ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं तक आयोग की आसान पहुंच बनाने के लिये यह पहल की गई है और उम्मीद है कि यह प्रयास सफल साबित होगा। जिन ग्राम पंचायतों में कमेटियां अच्छा काम करेंगी उन्हें महिला आयोग द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा।