जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार के 3 साल पूरे होने जा रहे है। इस दौरान बीजेपी राज के कई बड़े फैसलों को पलटने के साथ-साथ गहलोत सरकार खुद अपने फैसले पलटकर भी विवादों और चर्चाओं में रही है। 2019 से ही सरकार के यू टर्न लेने की शुरुआत हो गई, जो अब तक जारी है। भले ही कांग्रेस तीन साल पूरे होने की इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर जनता के सामने पेश कर रही है। लेकिन सच ये भी है कि ये साल कांग्रेस सरकार के लिए विवादों से भरे रहें। जिसमें कभी अशोक गहलोत के सचिन पायलट खेमे से खटास की खबरें हो या कई फैसलों पर सरकार का यू-टर्न।
अपने ही फैसलों को कई बार बदला—
अपने तीसरे टर्म में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ही फैसलों पर कई बार यू-टर्न लिया। उन्होंने सत्ता में आते ही निकाय प्रमुखों के सीधे चुनाव का प्रावधान लागू किया। कुछ महीने बाद ही लगा कि कांग्रेस को नुकसान होगा तो वापस बदल दिया। जिन फैसलों को उन्होंने बदला उनमें कई फैसले शामिल हैं।
— अक्टूबर 2019 में वापस पार्षदों के जरिए ही निकाय प्रमुखों के चुनाव करवाने का प्रावधान।
— प्रदेश भर में ग्राम पंचायतों को उनके अकाउंट की जगह नए पीडी अकाउंट खुलवाने का आदेश।
— कोरोना की दूसरी लहर में सीएम ने 15 अप्रैल को कहा कि लॉकडाउन नहीं लगाएंगे लेकिन बाद में लगाया।
— कोरोना का असर कम होने पर 24 जुलाई को स्कूल खोलने की घोषणा, बाद में पलटे।
— कोरोना गाइडलाइन का हवाला देते हुए अक्टूबर में दिवाली, न्यू ईयर सहित हर मौकों पर पटाखों पर प्रतिबंध, बाद में यू-टर्न।
— केंद्र सरकार के पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के फैसले के बाद प्रदेश में वैट कम करने से साफ मना कर दिया, बाद में वैट घटाया।
— मानसून सत्र के दौरान सितंबर महीने में बाल विवाह के भी रजिस्ट्रेशन का प्रावधान गहलोत सरकार ने भारी विरोध के बीच पारित करवाया, बाद में वापस लिया।
— सचिन पायलट खेमे की बगावत के वक्त जिन दो मंत्रियों को हटाया, 16 महीने बाद उन्हें वापस मंत्री बनाया।
— सचिन पायलट खेमे पर खूब जुबानी हमले करते रहे। बगावत से लौटते ही विधायक दल की बैठक में गहलोत ने अपने तो अपने होते हैं का बयान दिया।
— विधायक खरीद फरोख्त मामले में पहले सचिन पायलट और समर्थक विधायकों पर राजद्रोह की धाराओं में केस दर्ज करवाया, बाद में FIR। कोर्ट में दायर मुकदमा भी वापस लिया।
— CAA और नागरिकता कानून का सड़कों पर उतरकर विरोध किया। पाक विस्थापितों को रियायती दरों पर जमीन देने का फैसला।