वो कहते हैं न….हाथ कंगन को आरसी क्या।
पढ़े–लिखे को फारसी क्या।। Rajasthan Congress
बिलकुल ऐसा ही कुछ देखने को मिला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की झालावाड़ में आयोजित संकल्प महारैली सभा में। यहां राहुल बाबा की आयोजित सभा में एक लाख की भीड़ जुटाने का लक्ष्य रखा गया था और पहुंचे केवल चंद लोग। राजस्थान विधानसभा और आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर बुधवार को राहुल गांधी ने वर्तमान मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के गृह क्षेत्र झालावाड़ में चुनावी नतीजों को कांग्रेस की तरफ मोड़ने के लिए पहले रोड शो और बाद में एक सभा को संबोधित किया। रोड शो के दौरान ही सारी कहानी बयां हो गई थी। Rajasthan Congress
राहुल गांधी ने अपनी एसयूवी में रोड शो किया जिसके आसपास उन्हें न कोई देखने वाला पहुंचा और न ही स्वागत करने। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की असली मेहनत तो स्वागत स्थल पर दिखी जहां एक लाख से अधिक भीड़ जमा होने का भरोसा जताया गया था। एक लाख तो छोड़िए, वहां एक हजार लोग भी बमुश्किल पहुंच पाए। आधे से ज्यादा पांड़ाल तो खाली पड़ा ही रहा, वहां लगाई गई कुर्सियां तक अपने कद्रदानों को ढूंढ़ती रही। Rajasthan Congress
दिए गए वीडियो में भी जब आप देखेंगे तो पता चलेगा कि जब राहुल गांधी स्टेज पर आए, तब तक कांग्रेसी कार्यकर्ता भीड़ जुटाने का प्रयास करते रहे। अगर वीडियो की आवाज पर गौर करेंगे तो समझ में आएगा कि जब राहुल गांधी का मंच पर स्वागत किया जा रहा था, तब ही कुछ लोग दौड़ते हुए आते हैं और अपनी—अपनी कुर्सियां संभालते हैं। कुर्सियों के अलावा पांड़ाल में दरी और कारपेट भी बिछाया गया था जो पूरी तरह केवल दिखावे का काम आया। Rajasthan Congress
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हालांकि राहुल गांधी को मंच से नीचे उपस्थित भीड़ की संख्या दिखी हो या नहीं लेकिन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट का उतरा हुआ चेहरा कार्यकर्ताओं से अपनी नाराजगी छिपा न सके। हालांकि कार्यकर्ताओं ने भीड़ जुटाने या यूं कहें कि भाड़े के लोग जुटाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी हो लेकिन वह यह बात भूल गए कि यह गृह जिला किसका है। वसुन्धरा राजे यहां की महारानी हैं जिन्हें यहां देवी की तरह पूजा जाता है। इसके बाद भी पायलट दबी हुई नजरों से सभा स्थल पर उपस्थित लोगों की गिनती जरूर कर रहे होंगे। Rajasthan Congress
यहां राहुल गांधी अपने पुरचरित अंदाज में पीएम और राफेल के बारे में बोलते हुए नजर आए। समझने लायक बात यह है कि जब बात विधानसभा चुनावों की हो रही हो तो नेशनल मेटर पर बात करना कहां तक जायज है। या फिर कांग्रेस अध्यक्ष विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनावों की तैयारी भी अभी से कर रहे हैं
ताकि उनके जारी किए गए भाषणों का चिट्ठा अभी से तैयार हो जाए। लेकिन राजनीति में बड़ा भारी कद वहन किए हुए राहुल बाबा को यह कौन समझाए कि केन्द्र व राज्य की राजनीति दोनों की पूरक जरूर है लेकिन असल में है बिलकुल अलग-अलग। हमारा कहना तो यही होगा कि राजनीति में लंबा समय बिताने के बाद अब तो राहुल गांधी को इसकी ट्यूशन ले ही लेनी चाहिए।