राजस्थान सरकार किसानों के हित में पहले ही कई योजनाएं शुरू कर चुकी है। राज्य सरकार अब जल्द ही किसानों को कृषि यंत्र किराए पर देने की योजना शुरू करने जा रही है। प्रदेश के किसानों को अब खेती करने के लिए किराए पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। राजस्थान कृषि विभाग की ओर से राज्य में तीन वर्ष के दौरान 2652 फार्म मशीनरी बैंक खोले जाएंगे। बता दें कि प्रथम चरण में 750 केन्द्र कस्टम हायरिंग सेंटर के नाम से स्थापित किए जाएंगे। इन सभी केन्द्रों पर किसानों को उन्न्त कृषि यंत्र उपलबब्ध कराए जाएंगे। यंत्र उपलब्ध कराने के बदले किसानों से बाजार दर के अनुसार प्रति घंटा किराया लिया जाएगा। केन्द्र का पर्यवेक्षण जिला स्तरीय कृषि अधिकारी के जिम्मे होगा। केन्द्र चलाने वाले व्यक्ति को मशीनों को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी होगी। केन्द्र पर खेती के काम आने वाले महंगे व उन्नत कृषि यंत्र किसानों को किराए पर दिए जाएंगे। इससे पहले केन्द्र चलाने वाले कर्मचारियों को कृषि विज्ञान केन्द्रों, अनुमोदित परीक्षण केन्द्रों, एफएमटीटीआई व आईसीएआर से टेक्निकल ट्रेनिंग दी जाएगी।
जैविक खेती धरती मां और हम सभी की सेहत के लिए जरूरी: कृषि मंत्री
जैविक दिवस के अवसर पर कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने जयपुर स्थित पिंजरापोल गोशाला में शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के लगातार प्रयोग से मानव स्वास्थ्य के साथ ही मिट्टी की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इससे छुटकारा पाने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है। सैनी ने आगे कहा कि जैविक खेती करके ही हम धरती मां को जहर से बचा सकते हैं। जैविक खेती के उत्पाद बीमारियों से बचाने में मददगार होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि देश में 1966 से पहले खेती हुआ करती थी। इसके बाद रसायनों का प्रयोग होना शुरू हुआ, जिससे रसायन मिट्टी में समा गए। इसके दुष्परिणाम भी अब दिखने लगे हैं। सैनी ने कहा कि जैविक खेती हमारी पुरानी पद्धति है, जिसकी ओर हमें यू टर्न लेना चाहिए। सेंट्रल गवर्नमेंट के साथ ही राजस्थान सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में वर्तमान में 65 हजार हैक्टेयर भूमि पर जैविक खेती हो रही है। डूंगरपुर जिले को पूरी तरह जैविक खेती जिला घोषित किया गया है। रसायन युक्त फल, सब्जियों व खाद्य सामग्री के उपयोग से कैंसर सहित कई प्रकार की छोटी बड़ी बीमारियां उत्पन्न होने लगी है। इसलिए हमें जैविक खेती अपनाना जरूरी हो गया है।