राजस्थान में सड़कों के जाल को सुदृढ़ करने की कड़ी में 1687 करोड़ रुपए लागत की 14 सड़कें बनाई जाएंगी। पीपीपी मोड पर बनाई जाने वाली इन 806 किलोमीटर लंबी सड़कों में से दो मार्ग के लिए अवार्ड पहले जारी हो चुका है। बाकी 12 मार्गों के लिए हाल में तीन पैकेज में अवार्ड जारी किया गया है। इन सड़कों के लिए राज्य सरकार एशियन डवलपमेंट बैंक (एडीबी) से कर्ज के रूप में सहयोग लेगी। राज्य सरकार ने राज्य में सड़कों के विकास के लिए 500 मिलियन डॉलर (लगभग 3300 करोड़ रुपए) के कर्ज का करार किया है।
इन मार्गों में से कुछ मार्गों पर ठेकेदार टोल लगाकर वसूली करेगा, वहीं कुछ पर सरकारी टोल नाके लग सकते हैं। सरकार चाहे तो टोल नहीं भी लगाए। राज्य सरकार की ओर से जो 12 मार्गों के लिए सड़क का काम दिया गया है, उससे पीपीपी एनयूटी मोड पर दिया गया है। इसमें राज्य सरकार अभी लागत का 50 फीसदी देगी और बाकी 50 फीसदी ठेकेदार कंपनी अपनी ओर से लगाएगी। इस राशि का ठेकेदार को भुगतान सरकार अगले दस साल में किस्तों में चुकाएगी।
प्रीमियरपर भी दिए मार्ग : पीडब्ल्यूडीके मुख्य अभियंता एवं अतिरिक्त सचिव शिवलहरी शर्मा ने बताया कि चौमूं से चंदवाजी वाले 15.45 किलोमीटर के मार्ग के लिए सड़क बनाने वाली कंपनी को टोल राइट्स दिए गए हैं। कंपनी ने मार्ग पर सड़क बनाने के साथ राज्य सरकार को 3 प्रतिशत प्रीमियम देने पर भी सहमति दी है। वहीं हनुमानगढ़ से अबोहर वाले 43 किलोमीटर के मार्ग पर 51.50 करोड़ की लागत से सड़क बनेगी। इसमें टोल वसूली होगी, साथ ही सरकार की ओर से 17.1 प्रतिशत की दर से वीजीएफ (वायबिलिटी गेप फंड) के रूप में सहयोग राशि भी देगी।
चार सड़कों को बाद में अवार्ड
पीडब्ल्यूडीने जिन चार और सड़कों को अगले अवार्ड में शामिल करने के लिए चयन किया है, उनमें सीकर से गनेड़ी-जसवंतगढ़ (75 किमी), बीदासर से नोखा (93 किमी), अजीतगढ़ से चला (33 किमी) और सिंघाना बुहाना-हरियाणा बॉर्डर (33किमी) तक बनाना प्रस्तावित है। इन पर लगभग 700 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है। एडीबी से लिए जाने वाले कर्ज की बाकी राशि का उपयोग करने के लिए पीडब्ल्यूडी ने तो सड़कें चिन्हित कर ली है, लेकिन उनका अनुमोदन एडीबी से कराना बाकी है।
तीन पैकेज में 12 सड़कें
सरकारने एडीबी से जो कर्ज लिया है, उसमें पहले चरण में 16 सड़कें बनाना प्रस्तावित है। इनमें से 12 सड़कों का एडीबी ने निरीक्षण कर हरी झंडी दे दी। इसके आधार पर तीन पैकेज में 12 सड़कों के लिए अवार्ड जारी किया है। बाकी चार सड़कों को अवार्ड बाद में दिया जाएगा। तीन पैकेज में शामिल पहले पैकेज में पहली सड़क झालावाड़ में कनवास-खानपुर-अकलेरा (75 किमी), दूसरी देवली-कनवास (15 किमी), तीसरी सड़क आलोदा-गंगधार-सुवासन (25 किमी) और चौथी खेड़ली से पहाड़ी (61 किमी) तक की सड़क शामिल हैं। इन पर 335 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इनका काम दिल्ली की कंपनी बीजीसी को दिया गया है।
दूसरे पैकेज में दो सड़कें हैं। पहली सड़क बाड़मेर-सिणधरी-जालौर (148 किमी) और दूसरी सांडेराव से मूंदड़ा (30 किमी) हैं और इनकी लागत 346.77 करोड़ रुपए होगी। इनका काम दिनेशचंद्र अग्रवाल कंपनी, गुजरात को दिया गया है।
तीसरे पैकेज में 6 सड़कों को शामिल किया गया है। इनमें पहली सड़क पीलीबंगा से लखूवाली (35 किमी), दूसरी सरदारशहर से लूणकरणसर (76 किमी), तीसरी चूरू से भालेरी (35 किमी), चौथी सांजू से तरनाऊ (17 किमी), पांचवीं रूपनगढ़ से नरैना (35 किमी) और छठी नागौर-तरनाऊ-डीडवाना-सालासर-लक्ष्मणगढ़-मुकुंदगढ़ (196 किमी) तक की सड़क शामिल है। इन सभी पर 914.27 करोड़ रुपए की लागत आएगी और इसका काम जी.आर. इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी को दिया गया है।
कांग्रेस सरकार से तीन गुना हुआ प्रदेश में सड़कों का विकास
कांग्रेस के कुशासन में नही हुआ राजस्थान का विकास, सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रदेश को तरसना पड़ा। मुख्यमंत्री राजे ने बनाई गावों में ग्रामीण गौरव पथ से करीब 2हजार किमी सड़के। आज राजस्थान में 9 हजार करोड़ की लागत से सड़के बन रही हैं। राजे सरकार प्रतिदिन 4 करोड़ 55 लाख रुपए सड़क निर्माण पर खर्च कर रही हैं प्रदेश में 14 किमी सड़क हर रोज तैयार हो रही है। वास्तविकता में कांग्रेस सरकार ने मात्र राजस्थान के विकास की खानापूर्ती ही की हैं।
मलेशिया की कंपनी के साथ किया था 10 हजार करोड़ सड़कों का एमओयू
मलेशिया की कंपनी डीएमआई, मलेशिया के साथ 10 हजार करोड़ की सड़कों का आमओयू किया हैं। मलेशियाई कंपनी ने सड़क बनाने का काम चीन की चायना रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया हैं। इन हाईवे के मंटीनेंस का काम 10 साल तक मलेशियाई कंपनी करेगी। चायना रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी को 3500 किमी हाईवे सड़के बनाने का काम दिया जा रहा हैं। पहले फेज में 1832 किलोमीटर की 27 हाईवे सड़कों के तीन पैकेज की डीपीआर तैयार कर एंपावर्ड कमेटी की मंजूरी के लिए भेज दी गई हैं। यह तीन पैकेज करीब 5 हजार करोड़ के हैं।