जयपुर। बीजेपी की दिग्गज नेता और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर के बिड़ला सभागार में ‘धरती-पुत्र भैरों सिंह शेखावत’ पुस्तक का विमोचन किया। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के साथ बिताए अविस्मरणीय पलों को याद करते राजे ने कहा कि मैं बाबोसा की चलती-फिरती राजनीति की पाठशाला में विद्यार्थी रही हूं। वे अक्सर कहते थे कि राजनीति में जितनी बाधाएं आती हैं, जितना कठिन समय आता है, वहीं व्यक्ति को तपाकर मजबूत बनाता है। मैंने अंतिम व्यक्ति की सेवा करने की राजनीति बाबोसा से ही सीखी है। वे हमेशा राजनीति को ‘सेवानीति’ मानकर काम करते रहे तभी शिखर पुरुष बने।
भैरोंसिंह शेखावत कभी विचलित नहीं होते थे
राजे ने कहा कि भैरोंसिंह शेखावत कहते थे कि अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति के लिए योजनाएं बनाकर उसे लाभान्वित करने ही सरकार का मकसद होना चाहिए। उन्होंने इस कार्य को पूरी उम्र बखूबी निभाया। राजे ने कहा कि राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन भैरोंसिंह शेखावत कभी भी विचलित नहीं हुये। जब विदेश में भैरों सिंह शेखावत की हार्ट सर्जरी चल रही थी और पीछे से उनकी सरकार गिराने की साजिश की जा रही थी उस समय वे आहत जरुर हुये लेकिन विचलित नहीं। राजनीति में उनका कोई भी बाल बांका नहीं कर पाया।
राजे ने शेखावत को बताया राजनीतिक अभिभावक
पूर्व सीएम राजे ने शेखावत को राजनीति में लाने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि यह सच है कि मेरी मां राजमाता ने मुझे राजनीति से परिचित कराया, लेकिन मुझे राजस्थान की राजनीति में शेखावत जी ने लाए। वह मेरे स्थानीय अभिभावक थे। वे कहते थे कि मुसीबत तब होती है जब आप देखते हैं कि जिन लोगों की आपने मदद की उनमें से ज्यादातर वही हैं जिन्होंने आपको छोड़ दिया है। इसलिए सोच समझकर अपनी टीम का चयन करें। उन लोगों को लें जो आपकी दृष्टि और विचार साझा करते हैं। उनका सहयोग करें और जो नहीं करते उनसे दूर रहें।