जयपुर। प्रदेश में आगामी 16 नवंबर को निकाय चुनाव 2019 : भाजपा ने कसी कमर, 44 बिंदु का ‘दृष्टि पत्र’ किया जारी होने वाले निकाय चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। बीजेपी ने 44 लोलुभावने बिंदुओं को लेकर एक ‘दृष्टि पत्र’ जारी किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया की गैर मौजूदगी में आनन-फानन में पूर्व कैबिनेट मंत्री अरूण चतुर्वेदी समेत अन्य प्रदेश भाजपा के नेताओं ने यह दृष्टि पत्र जारी किया। लेकिन इस दृष्टि पत्र में जारी बिंदुओं को पूरा करने के लिए निकायों को धनराशि की जरूरत होगी, लेकिन यह धनराशि या विभिन्न बिंदुओं को पूरा करने के लिए बजट कहां से आयेगा। यह इसका जवाब ना तो इस दृष्टि पत्र में था और ना ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले नेताओं के पास था। घोषणा-पत्र में कहीं पर भी न तो पार्टी के किसी राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय नेता का फोटो लगाया गया है और न ही किसी का संदेश दिया गया है। यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
दृष्टि-पत्र में ये बिन्दु हैं शामिल
बीजेपी ने घोषणा-पत्र में स्वच्छता अभियान के तहत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, महिला और पुरुषों के लिए सार्वजनिक शौचालय, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, एलईडी लाइटों की संख्या बढ़ाने, सीवरेज व्यवस्था का विस्तार करने, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पुख्ता प्रबंध, सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने और अन्नपूर्णा योजना को व्यापक करने करने के वादे किए गए हैं। इसके साथ ही कच्ची बस्तियों का विकास और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बढ़ावा देने का भी वादा किया गया है। इनके अलावा नगर क्षेत्रों में वर्षा जनित स्त्रोतों का रखरखाव व सौंदर्यकरण, नगरीय परिवहन, हाट बाजार और शहरी विकास को गति प्रदान करने के वादे किए गए हैं।
विकास का किया वादा
पूर्व मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के 11 महीने के शासन काल में शहरों का विकास ठप हो गया है। पूर्ववर्ती सरकार में स्वीकृत हुए विकास कार्य टेंडर जारी होने के बावजूद शुरू नहीं हो सके है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के 49 निकायों में 16 नवंबर को मतदान होगा और 19 तारीख को मतगणना होगी, इसके बाद अध्यक्ष का चुनाव 26 नवंबर व उपाध्यक्ष का 27 नवंबर को करवाया जाएगा। यह जो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की तारीख दी गई है, यह परंपरा गलत है और इससे पार्षदों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।
अशोक गहलोत का आरोप
आपको बता दे कि पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार पर 7000 करोड़ से अधिक धनराशि जारी नहीं करने का आरोप लगा चुके है। साथ ही यह बयान बार-बार दे चुके है कि यह धनराशि जारी नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। इसके अलावा आर्थिक तंगी से निपटने के लिए गहलोत सरकार पेट्रोल-डीजल वैट, आबकारी पर टैक्स की दरें बढ़ा चुकी है। साथ ही पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार का फैसला पलटते हुए स्टेट हाईवे पर निजी वाहनों से टोल टैक्स की वसूली भी शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल यह है कि 49 निकायों के विकास कार्यों के लिए धनराशि कहां से आएगी।