जयपुर। राजस्थान में फिल्म पद्मावत के पुरजोर विरोध के बाद अब आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘पानीपत’ को लेकर रोष चरम पर है। बताया जा रहा है कि फिल्म में भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल काे लालची शासक के रूप में दिखाया गया है। जिसके बाद फिल्म के दृश्यों व संवाद को लेकर विशेषकर जाट समाज के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। वहीं राजस्थान के नेताओं ने भी सेंसर बोर्ड से इस फिल्म को बैन करने की मांग की है। यदि प्रदेश के नेताओं की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी पानीपत फिल्म का विरोध करते हुए महाराजा सूरजमल को स्वाभिमानी, निष्ठावान और हृदय सम्राट जैसे शब्दों से नवाजा है। वहीं फ़िल्म निर्माताओं द्वारा ग़लत चित्रण की कड़ी निंदा की है।
जाटों की समर्थक मानी जाती हैं वसुंधरा राजे
हालांकि पानीपत फिल्म की कहानी पर छिड़े संग्राम में सीएम अशोक गहलोत, सांसद हनुमान बेनीवाल, मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, वरिष्ठ नेता किरोड़ी लाल मीना सहित कई नेताओं ने अपनी हाजिरी लगाई है। लेकिन वसुंधरा राजे का ट्वीट फिलहाल सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है। क्योंकि राजनीतिक पंडितों की मानें तो राजे जाटों की समर्थक मानी जाती है। यही कारण है कि मूवी में महाराजा सूरजमल को लेकर उपजे विवाद में वसुंधरा राजे सबसे पहले कूदी है। ऐसा कोई पहली बार नहीं है, पूर्व में भी राजे कई बार जाट समाज की मांगों को पूरजोर तरीके से उठाती नजर आई है।
जाट आरक्षण व्यवस्था में राजे का अहम योगदान
सबसे पहले बात करते हैं जाट आरक्षण की। वर्ष 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने जाटों को आरक्षण देने के नाम पर चुनाव लड़ा और सरकार बनते ही वादे के अनुसार जाट समाज को आरक्षण दे दिया। तब केन्द्रीय मंत्री रहते हुए वसुंधरा राजे ने राजस्थान में जाट आरक्षण व्यवस्था लागू करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके बाद वसुंधरा सरकार ने ही धौलपुर और भरतपुर के जाटों को आरक्षण का लाभ दिया तथा अगस्त 2015 में कानूनी रोक के बावजूद OBC कमीशन बैठाकर उन्हें फिर से आरक्षण दिया था।
नागौर में पानी की समस्या का स्थाई समधान
जाट बहुल नागौर जिले में पानी की समस्या कई दशकों से पैर पसार रही थी तथा कृषि प्रधान जिला नागौर लगातार पानी की समस्या से जूझ रहा था। वसुंधरा सरकार ने अपने दोनों ही कार्यकाल में नागौर लिफ्ट परियोजना को अहमियत दी तथा नागौर को पानी की समस्या से ऐसी निजात दिलाई कि वर्ष 2045 तक अब जिले में पानी की कमी नहीं होगी।
समाज के महापुरुषों को भी दिया पूरा सम्मान
वहीं जाट समाज के महापुरुषों के सम्मान में भी वसुंधरा राजे का नेतृत्व हमेशा आगे रहा है। जिसका सबसे सटीक उदाहरण है खेमा बाबा और वीर तेजाजी जैसे जाट महापुरुषों के पैनोरमा, जिनको बहुत ही कम समय में बनवाकर पूर्व वसुंधरा सरकार ने एक नजीर पेश की थी। इतना ही नहीं यदि हम दिमाग के घोड़े दौड़ाएंगे तो पाएंगे कि वर्ष 2003 के बाद राजस्थान में जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें सबसे ज्यादा टिकट जाटों को मिले है तथा भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में सर्वोच्च स्थान भी जाट नेताओं को ही दिया गया था।