जयपुर। गहलोत सरकार ने बुधवार को विधानसभा में अपना चौथा बजट पेश कर दिया है। इस बजट को सीएम गहलोत सहित कांग्रेस के तमाम नेता लोक कल्याणकारी बता रहे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे सिर्फ लोक लुभावना बता रहे हैं। हालांकि आमजन की इस बजट को लेकर मिली-जुली सी प्रतिक्रिया है।
राज्य सरकार के इस बजट पर दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा भारतीय जनता पार्टी, राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने भी अपनी-अपनी राय दी है। आप इन दोनों की राय को गौर से सुनेंगे तो एक सच्चे तथा थोपे हुए नेता में फर्क आसानी से समझ जाएंगे।
सतीश पूनिया की प्रतिक्रिया
पूनिया ने यहां गहलोत सरकार के बजट को कॉस्मेटिक सा बताते हुए, काली दुल्हन को मेक-अप करके गौरा बनाने जैसी बात कही है। जिससे स्पष्ट होता है कि पूनिया की भाषा कितने नीचले स्तर की है, जिसके माध्यम से वे सांवली महिलाओं का अपमान करने से भी नहीं चूके। कुल मिलाकर पूनिया के वक्तव्यों में एक छात्र राजनेता की भाषा है, जिसे अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
वसुंधरा राजे की प्रतिक्रिया
वहीं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस बजट पर बिल्कुल सभ्य भाषा में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे दिशाहीन बताया है। उन्होने कहा कि इसमें कोई विजन नहीं है, किसानों के लिए बजट घोषित करने के बावजूद किसानों के साथ धोखा किया गया है। राजे ने मीडिया से बात करते हुए इस बजट को नीति पर आधारित नहीं, बल्कि राजनीति पर आधारित बताया है। जिससे स्पष्ट होता है कि कार्यकर्ताओं पर थोपा हुआ नेता कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। प्रदेश में सत्ता की चाबी संभालने के लिए राजनीतिक समझ, व्यावहारिक ज्ञान, भाषाई विद्वता, अनुभव तथा शिक्षा की जरूरत है। जो पूनिया जैसे नेताओं में अभी दूर-दूर तक देखने को नहीं मिलती।