भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि बहरीन के लोग पिछली दो शताब्दियों से सहिष्णुता और सम्मानता की मिसाल है, जो विश्वजगत को अनेकता में एकता के लिए प्रेरित करते हैं। यहां की संस्कृति मानवता और भाईचारे में विश्वास रखती है, जो भारतीय लोकतंत्र का आधार स्तंभ भी है।
श्रीमती राजे बुधवार को बहरीन स्थित श्रीनाथजी (कृष्ण) मंदिर की 200वीं वर्षगांठ पर बतौर मुख्य अतिथि संबोंधित कर रही थीं। उन्होंने यहां 130 करोड़ भारतीयों को शुभकामनाएं देते हुए दोनों देशों के बीच विकसित हो रहे व्यापार पर प्रसन्नता जाहिर की तथा विश्व समुदाय की शांति और समृद्धि के लिए एक साथ मिलकर काम करने का संकल्प दोहराया। राजे ने कहा कि बहरीन की तरह भारत भी विविधता में एकता का पर्याय बन सभी वर्गों को गले लगाने में विश्वास रखता है, जो दोनों देशों की सबसे बड़ी विशेषता है। उन्होंने हर्ष जताते हुए कहा कि ‘मैं यहां उस पावन भूमि के प्रतिनिधि के रूप में खड़ी हूं, जिसने विश्वगुरु बनकर मानवता के कल्याण का ज्ञान दिया है। जो विश्व में शांति का प्रतीक है, विभिन्न परंपराओं का स्रोत तथा अनेकानेक धर्मों की शरणस्थली है। वहीं अब दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
वसुंधरा राजे ने यहां सन् 1730 में जोधपुर के खेजड़ली गांव में हुए चिपको आंदोलन के दौरान मारे गए 363 पर्यावरण प्रेमियों का भी उल्लेख किया जिन्होंने खेजड़ी वृक्ष को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। साथ ही उन्होंने सिंधु घाटी सभ्यता और दिलमुन सभ्यता के दौरान दोनों देशों के मध्य हुए मोती, मसाले, हीरे और कपास के व्यापार को दुनिया के सबसे पुराने और स्थाई व्यापार संबंध बताया।
इस अवसर पर बहरीन साम्राज्य के राजा श्री हमद बिन ईसा अल खलीफा, बहरीन में भारतीय राजदूत श्री आलोक कुमार सिन्हा, बहरीन सरकार के गणमान्य सदस्य, तथा भारतीय प्रवासी समुदाय सहित कई लोग उपस्थित रहे।